Question Paper for RAS/RTS Comb. Comp. Special Mains Exam - 2016 (Exam Date: 17.12.2018-18.12.2018)(Paper-I)
Unit-I (यूनिट-I)
Part -A भाग -अ
Note : Attempt all questions. Answer the follwoing question in 15 words each. Eash question carries 2 marks
नोट : सभी प्रश्नों के उत्तर दें | निम्न प्रश्नों का उत्तर 15-15 शब्दों में दें | प्रत्येक प्रश्न के 2 अंक है |
1. राजस्थान की त्याग-प्रथा को परिभाषित कीजिए (Define the Tyaga Custom of Rajsthan.)
उत्तर - राजस्थान में क्षत्रिय /राजपूत जाति में विवाह के अवसर पर चारण,भाट आदि लड़की वालों से मुॅंह मांगी दान-दक्षिणा के लिए हठ करते थे, जिसे त्याग कहा जाता था।
त्याग की इस कुप्रथा के कारण भी प्रायः कन्या का वध कर दिया जाता था।
सर्वप्रथम 1841 ई. में जोधपुर राज्य में ब्रिटिश अधिकारियों के सहयोग से नियम बनाकर त्याग प्रथा को सीमित करने का प्रयास किया गया।
2. सिन्धु घाटी सभ्यता की 'नर्तकी प्रतिमा' की कोई दो विशेषताएँ लिखिए |
उत्तर - इस विश्व प्रसिद्ध प्रतिमा में एक नर्तकी को नृत्यक के बाद मानो खड़े होकर आराम करते दर्शाया गया है ।
बाएं हाथ में चूड़ियां और दाएं हाथ में कंगन और ताबीज सम्मिलित हैं यह अपने कूल्हे पर दाहिने हाथ रखे हुए “त्रिभंग” नृत्य मुद्रा में खड़ी है
इसके बाएँ हाथ में संभवत: हड्डी या हाथी दांत से बनी अनेक चूडि़यां हैं जिनमें से कुछ इसके दाहिने हाथ में भी हैं
मोहनजोदड़ो में पाई गई यह मर्तिू तत्कालीन ढलाई कला का एक उत्तम नमना है। और ज्यादा यहाँ देखें
3. मक्खलिपुत्र गोशाल कौन था ?
उत्तर - मक्खलि गोसाल या मक्खलि गोशाल (560-484 ईसा पूर्व) 6ठी सदी के एक प्रमुख आजीवक दार्शनिक हैं। इन्हें नास्तिक परंपरा के सबसे लोकप्रिय ‘आजीवक संप्रदाय’ का संस्थापक, 24वां तीर्थंकर और ‘नियतिवाद’ का प्रवर्तक दार्शनिक माना जाता है। जैन और बौद्ध ग्रंथों में इनका वर्णन ‘मक्खलिपुत्त गोशाल’, ‘गोशालक मंखलिपुत्त’ के रूप में आया है जबकि ‘महाभारत’ के शांति पर्व में इनको ‘मंकि’ ऋषि कहा गया है।
4. मेवाड़ पुकार क्या था
उत्तर - “मेवाड़ पुकार” मोतीलाल तेजावत द्वारा तैयार एक मांग पत्र था, जो महाराणा मेवाड़ को प्रस्तुत किया गया था। या राजस्थान में मेवाड़ में एकी आंदोलन में मोतीलाल तेजावत ने मेवाड़ महाराणा के सामने 21 मांगे रखी जिसे “मेवाड़ पुकार” कहा जाता है
5. मिरातुल अखबार के संपादक कौन थे
उत्तर - फारसी साप्ताहिक 'मिरातुल अखबार' को राजा राममोहन राय प्रकाशित करते थे।
'नवजागरण के अग्रदूत', 'सुधार आंदोलनों के प्रवर्तक' 'आधुनिक भारत के पिता' नव प्रभात का तारा' के नाम से विख्यात, राजा राममोहन राय ने (1822 ई.) फारसी भाषा बंगाली पत्रिका 'संवाद कौमुदी' का भी प्रकाशन किया।


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