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राजस्थान के प्रमुख मंदिर- अलवर

- नारायणी माता का मंदिर : राजगढ़ तहसील में बरवा डूँगरी की तलहटी में स्थित इस स्थल पर नाइयों की कुल देवी नारायणी माता का मंदिर स्थित है। प्रतिवर्ष वैशाख शुक्ला एकादशी को यहाँ नारायणी माता का मेला भरता है।

- रथ यात्रा : पुरी की तरह अलवर में प्रति वर्ष बढ़लिया नवमी को आयोजित होने वाली इस रथयात्रा में सजे-धजे इन्द्रविमान रथ पर जगन्नाथजी की प्रतिमा को पूरे लवाजमे के साथ रूपवास मंदिर ले जाया जाता है। यहाँ एकादशी को वरमाला उत्सव आयोजित होता है।

- विजयमंदिर : अलवर से 11 किमी. दूर स्थित इस भव्य राजप्रसाद का निर्माण अलवर के तत्कालीन महाराज जयसिंह ने 1917-18 में करवाया।

- भर्तृहरि मंदिर : सरिस्का (अलवर) में उज्जैन के राजा एवं महान योगी भर्तृहरि की तपोस्थली है जहाँ प्रतिवर्ष भाद्रपद और वैशाख माह में मेला लगता है जिसे कनफटे साधुओं का कुंभ कहा जाता है। यह नाथ सम्प्रदाय का प्रमुख तीर्थ स्थल है।

- पांडुपोल हनुमान जी का मंदिर (अलवर) : इसे लेटे हुए हनुमानजी का मंदिर कहा जाता है। यहाँ भाद्रपद माह में विशाल मेला भरता है।

- नीलकण्ठ महादेव मंदिर (टहला, अलवर) : इस मंदिर में नृत्य करते हुए गणेशजी की मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर का निर्माण गुर्जर प्रतिहार शासक अजयपाल ने करवाया था। इस मंदिर के गर्भगृह में काले रंग का नीलम धातु का बना शिवलिंग प्रतिष्ठित है।

- चंद्रप्रभु जैन मंदिर (तिजारा, अलवर) : यहाँ 8वें जैन तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभु का विशाल मंदिर है। देहरा नामक स्थल पर चंद्रप्रभु भगवान की प्रतिमा प्राप्त हुई थी।

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