बाड़मेर
- अजरख प्रिंट, थार समारोह
- सुजलम परियोजना
- मंगला, विजया एवं भाग्यम और रागेश्वरी – केयर्न एनर्जी द्वारा खोजे गये तेल के भंडार
- कोसरिया – तेल रिफायनरी
- सर्वाधिक अनुप्रस्थ बालुका स्तूपों का विस्तार
क्षेत्रफल – 28387 km2 जनसंख्या :
यह जिला जोधपुर संभाग में है
उपखंड: तीन , तहसीले : 8
भीमाजी रतनावट वि. सं. 1642 में इसे बसाया
तिलवाडा – तिलवाडा का पशु मेला , मल्लीनाथ जी का तीर्थ स्थल
झील – पंचभद्रा (खारे पानी की) बाड़मेर-जोधपुर मार्ग पर
बालोतरा – रंगाई-छपाई व बंधेज के लिए प्रसिद्ध
गुढामलानी – विशाल तेल क्षेत्र, आल जी का धोरा (घोडो का तीर्थ स्थल)
गडरारोड – इंदिरा गाँधी नहर का अंतिम गंतव्य
मुनाबाव – भारत का अंतिम पश्चिमी रेल्वे स्टेशन
उत्सव – बाड़मेर-थार समारोह ( शीतला अष्टमी)
किराडू – राजस्थान का खजुराहो, रानी भटयानी का मेला
पचपदरा – भारतीय रेल अनुसंधान एवं परीक्षण केन्द्र
शिव – तेल की खोज की गई है , डिफेन्स ऑर्डिनेंस फैक्ट्री की स्थापना
कोलू – पाबूजी का तीर्थ स्थल
बाड़मेर राजस्थान में स्थित एक छोटा किंतु रंगों से भरपूर शहर है। यह बाड़मेर जिला मुख्यालय है। इस शहर की स्थापना बहाड़ राव ने 13वीं शताब्दी में की थी। उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम बाड़मेर पड़ा यानि बार का पहाड़ी किला। एक समय मालानी के नाम से जाना जाने वाला बाड़मेर अपनी जीवंतता के कारण सैलानियों को बहुत भाता है। बाड़मेर की यात्रा की एक खासियत यह भी है कि यह हमें राजस्थान के ग्रामीण जीवन से रूबरू कराता है। यात्रा के दौरान रास्ते में पड़ने वाले गांव, पारंपरिक पोशाकें पहने लोगों और रेत पर पड़ती सुनहरी धूप, बाड़मेर की यह मनोरम छवि आंखों में बस जाती है। मार्च के महीने में पूरा बाड़मेर रंगों से भर जाता है क्योंकि वह वक्त बाड़मेर महोत्सव का होता है। यह वक्त यहां आने का सबसे सही समय है।
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