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संविधान में संशोधन 21-40

संविधान में संशोधन 21-40

संविधान में समय-समय पर आवश्यकता होने पर संशोधन भी होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को 'संशोधन' कहा जाता है।


21. संविधान (21वां संशोधन) अधिनियम, 1967- 

इस अधिनियम द्वारा सिंधी भाषा को अष्टम अनुसूची में शामिल किया गया ।

22. संविधान (22वां संशोधन) अधिनियम, 1969- 

यह अधिनियम असम राज्य में एक नए स्वायत्त राज्य मेघालय का निर्माण करने की दृष्टि से लागू किया गया ।

23. संविधान (23वां संशोधन) अधिनियम, 1969- 

अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों तथा आंग्ल-भारतीयों के लिए संसद और राज्य विधान मंडलों में स्थानों के आरक्षण की अवधि 10 वर्ष तक और बढ़ाने के लिए अनुच्छेद-334 का संशोधन किया गया ।

24. संविधान (24वां संशोधन) अधिनियम, 1971- 

यह संशोधन गोलकनाथ के मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय से उत्पन्न स्थिति के संदर्भ में पारित हुआ । तदनुसार इस अधिनियम द्वारा मूल अधिकारों सहित संविधान में संशोधन करने के संसद के अधिकारों के बारे में सभी प्रकार के संदेहों को दूर करने के लिए अनुच्छेद-13 और अनुच्छेद-368 में संशोधन किया गया ।

25. संविधान (25वां संशोधन) अधिनियम, 1971- 

इस संशोधन द्वारा बैंकों के राष्ट्रीयकरण के मामले को देखते हुए अनुच्छेद-31 में संशोधन किया गया । 'मुआवज़ा' शब्द की 'पर्याप्त मुआवज़ा' के रूप में न्यायिक व्याख्या को देखते हुए 'मुआवजा' शब्द के स्थान पर 'रकम' शब्द रखा गया ।

26. संविधान (26वां संशोधन) अधिनियम, 1971- 

इस संशोधन द्वारा भारतीय रियासतों के शासकों के 'प्रिवी' और विशेषाधिकारों को समाप्त किया गया । यह संशोधन माधवराव के मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय के परिणामस्वरूप पारित किया गया ।

27. संविधान (27वां संशोधन) अधिनियम, 1971- 

यह संशोधन अधिनियम उत्तर-पूर्वी राज्यों के पुनर्गठन के कारण आवश्यक कतिपय बातों की व्यवस्था करने के लिए पारित किया गया। एक नया अनुच्छेद-239ख जोड़ा गया, जिससे कुछ केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन अध्यादेश जारी करने के लिए समर्थ हो गए ।

28. संविधान (28वां संशोधन) अधिनियम, 1972- 

यह संशोधन भारतीय सिविल सेवा के सदस्यों की छुट्टी, पेंशन और अनुशासन के मामलों के संबंध में विशेषाधिकारों को समाप्त करने के लिए पारित किया गया ।

29. संविधान (29वां संशोधन) अधिनियम, 1972- 

संविधान की नौंवी अनुसूची का संशोधन करके उसमें भूमि सुधार के बारे में केरल के दो अधिनियम शामिल किए गए ।

30. संविधान (30वां संशोधन) अधिनियम, 1972- 

इस संशोधन का उद्देश्य अनुच्छेद-133 का संशोधन करके उसमें निर्धारित 20,000 रुपये की मूल्यांकन परीक्षा समाप्त करना तथा उसके स्थान पर सिविल कार्यवाही में उच्चतम न्यायालय में अपील की व्यवस्था करना है, जो केवल उच्च न्यायालय के इस प्रमाण-पत्र पर ही की जा सकेगी कि उस मामले में सामान्य महत्व की विधि का सारवान प्रश्न शामिल है और उच्च न्यायालय की राय में उस प्रश्न पर उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्णय लिए जाने की आवश्यकता है ।

31. संविधान (31वां संशोधन) अधिनियम, 1973- 

इस अधिनियम द्वारा अन्य बातों के साथ-साथ लोकसभा में राज्यों के प्रतिनिधित्व की अधिकतम संख्या 500 से बढ़कर 525 तथा केंद्र शासित प्रदेशों के सदस्यों की अधिकतम संख्या को 25 से घटाकर 20 किया गया ।

32. संविधान (32वां संशोधन) अधिनियम, 1973- 

इस अधिनियम द्वारा आंध्र प्रदेश राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में समान अवसर प्रदान करने वाले उपबंध को लागू करने के लिए आवश्यक संवैधानिक प्राधिकारी की व्यवस्था की गई और लोक सेवाओं से संबंधित शिकायतों की सुनवाई की अधिकारिता का एक प्रशासनिक न्यायाधिकरण गठित किया गया । इसके द्वारा संसद को यह शक्ति भी दी गई कि वह उस राज्य में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए कानून बना सकती है ।

33. संविधान (33वां संशोधन) अधिनियम, 1974- 

इस संशोधन द्वारा संसद सदस्यों और राज्य विधान मंडलों से त्यागपत्र दिए जाने की प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए अनुच्छेद-101 तथा 190 में संशोधन किया गया ।

34. संविधान (34वां संशोधन) अधिनियम, 1974- 

इस अधिनियम द्वारा विभिन्न राज्य विधान मंडलों द्वारा बनाए गए 20 और काश्तकारी व भूमि सुधार कानूनों को नौवीं अनुसूची में शामिल किया गया ।

35. संविधान (35वां संशोधन) अधिनियम, 1974- 

इस अधिनियम द्वारा एक नया अनुच्छेद-2(क) जोड़ा गया, जिसके द्वारा सिक्किम को भारतीय केंद्र के सह-राज्य का दर्जा दिया गया । अनुच्छेद 80-81 में परिणामिक संशोधन किए गए । एक नई अनुसूची, अर्थात 10वीं अनुसूची जोड़ी गई जिसमें सिक्किम के भारतीय केंद्र में शामिल होने की नियम एवं शर्ते दी गईं हैं ।

36. संविधान (36वां संशोधन) अधिनियम, 1975- 

सिक्किम को भारतीय संघ का पूर्ण राज्य बनाने और संविधान की प्रथम अनुसूची में शामिल करने और सिक्किम को राज्यसभा और लोकसभा में एक-एक स्थान देने के लिए यह अधिनियम बनाया गया । संविधान (35वां संशोधन) अधिनियम द्वारा जोड़े गए अनुच्छेद-2(क) और 10वीं अनुसूची को हटाकर अनुच्छेद-80 और 81 में समुचित संशोधन किया गया ।

37. संविधान (37वां संशोधन) अधिनियम, 1975- 

इस अधिनियम द्वारा केंद्र शासित प्रदेश अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा की व्यवस्था की गई, संविधान के अनुच्छेद-240 का भी संशोधन किया गया और यह उपबंध किया गया कि विधान मंडल वाले अन्य केंद्र शासित प्रदेशों की तरह केंद्र शासित प्रदेश अरुणाचल प्रदेश के लिए विनियम बनाने की राष्ट्रपति की शक्ति का प्रयोग तब किया जा सकेगा, जब विधानसभा या तो भंग हो गई हो या उसके कार्य निलंबित हों ।

38. संविधान (38वां संशोधन) अधिनियम, 1975- 

इस अधिनियम द्वारा संविधान के अनुच्छेद 123, 213 और 352 में संशोधन करके यह उपबंध किया गया कि इन अनुच्छेदों में उल्लिखित राष्ट्रपति या राज्यपाल के संवैधानिक निर्णय को किसी न्यायालय में चुनौती दी जा सकेगी ।

39. संविधान (39वां संशोधन) अधिनियम, 1975- 

इस अधिनियम द्वारा राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष के निर्वाचन संबंधी विवादों पर ऐसे प्राधिकारी द्वारा विचार किया जा सकेगा, जो संसदीय कानून द्वारा नियुक्त किया जाए । इस अधिनियम द्वारा नौवीं अनुसूची में कतिपय केंद्रीय कानूनों को भी शामिल किया गया ।

40. संविधान (40वां संशोधन) अधिनियम, 1976- 

स अधिनियम द्वारा राष्ट्रीय महासागरीय सीमा अथवा महाद्वीपीय जल सीमा अथवा पूरी तरह भारत के आर्थिक क्षेत्र में आने वाली सभी खानों, खनिज पदार्थों और अन्य मूल्यवान वस्तुओं को केंद्र के अधिकार में निहित करने का उपबंध किया गया । इसमें इस बात का भी उपबंध किया गया कि भारत के आर्थिक क्षेत्र के सभी अन्य संसाधन भी पूरी तरह केंद्र के अधिकार में होंगे । इस अधिनियम द्वारा इस बात का भी उपबंध किया गया कि राष्ट्रीय जल सीमा, महाद्वीपीय जल सीमा और भारत की आर्थिक क्षेत्र की सीमाएं तथा समुद्री क्षेत्र पूरी तरह विनिर्दिष्ट होंगी, जो समय-समय पर संसद अथवा संसद द्वारा निर्मित कानून के अधीन निर्धारित की जाएंगी । साथ ही साथ, नौवीं अनुसूची में कुछ और अधिनियम जोड़े गए ।

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