जयपुर
- सुहाग (सौभाग्य) मन्दिर : गणेशपोल की छत पर स्थित आयताकार महल जो रानियों के हास-परिहास व मनोविनोद का केन्द्र था।
- शिलादेवी का मन्दिर : आमेर के महलों में शिलादेवी का प्रसिद्ध मंदिर है। शिलामाता की मूर्ति का राजा मानसिंह 16वीं शताब्दी के अन्त में जैस्सोर (बंगाल) शासक केदार राय को परास्त करके लाये थे। शिलादेवी के मंदिर में संगमरमर का कार्य सवाई मानसिंह द्वितीय ने 1906 ई. में करवाया था। पूर्व में यह साधारण चूने का बना हुआ था। शिलादेवी जयपुर के कच्छवाहा शासकों की आराध्य देवी है।
- जगत शिरोमणि मंदिर : आमेर में स्थित यह वैष्णव मंदिर महाराजा मानसिंह-I की रानी कनकावती ने अपने पुत्र जगतसिंह की याद में बनवाया था। इस मंदिर में भगवान कृष्ण की काले पत्थर की मूर्ति प्रतिष्ठित है जो वही है जिसकी पूजा मीराबाई करती थी। स्थानीय लोग इसे लालजी का मंदिर भी कहते हैं।
- गोविन्द देवजी का मंदिर : गौड़ीय सम्प्रदाय का यह राधाकृष्ण मंदिर सिटी पैलेस के पीछे बने जयनिवास बगीचे के मध्य अहाते में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1735 में सवाई जयसिंह द्वारा करवाया गया। यहाँ वृन्दावन से लाई गोविन्द देवजी की प्रतिमा प्रतिस्थापित है। यह मंदिर सांधार शैली का है जिसमें प्रदक्षिणा पथ बना हुआ है। गोविन्द देवजी की पूजा-विधि ‘अष्टयाम सेवा’ के नाम से प्रसिद्ध है।
- गणेश मंदिर : मोतीडूँगरी की तलहटी में स्थित यह मंदिर महाराजा माधोसिंह प्रथम के काल में 1761 ई. में बनाया गया था। यहाँ स्थापित गणेश प्रतिमा जयपुर नरेश माधोसिंह प्रथम की पटरानी के पीहर (मावली) से लाई गई थी। यहाँ प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी पर मेला भरता है।
- बिड़ला मंदिर : मोती डूँगरी के निकट श्वेत संगमरमर से निर्मित लक्ष्मीनारायण मंदिर जिसे बिड़ला गुप (गंगाप्रसाद बिड़ला) के हिन्दुस्तान चेरिटेबल ट्रस्ट ने बनवाया है। मंदिर में स्थापित भगवान नारायण तथा देवी लक्ष्मी की मूर्तियाँ एक ही संगमरमर के टुकड़े से बनी है। मंदिर की दीवारों पर लगे सुन्दर एवं भव्य काँच बैल्जियम से आयात किए गए है, उन पर हिन्दू देवी-देवताओं के सुन्दर चित्र अंकित किए गए हैं। यह मंदिर एशिया का प्रथम वातानुकूलित मंदिर है जो मकराना के सफेद संगमरमर से निर्मित है।
- राजेश्वर मंदिर : मोतीडूँगरी (जयपुर) में स्थित यह मंदिर जयपुर के राजाओं का एक निजी मंदिर है जो आम जनता के लिए केवल शिवरात्रि को ही खुलता है। इसका निर्माण 1864 ई. में जयपुर नरेश रामसिंह द्वारा करवाया गया था।
- नकटी माता का मंदिर : जयपुर के निकट जय भवानीपुरा में ‘नकटी माता‘ का प्रतिहारकालीन मंदिर है।
- गलताजी (जयपुर) : जयपुर के वृन्दावन नाम से प्रसिद्ध प्राचीन कुण्ड। प्राचीन समय में यहाँ ऋषि गालव का आश्रम था। बन्दरों की अधिकता के कारण ‘Monkey Valley’ के रूप में प्रसिद्ध। रामानन्दी सम्प्रदाय की प्रमुख पीठ। गलता को ‘उत्तर तोताद्रि’ के रूप में जाना जाता है। मार्गशीर्ष कृष्णा प्रतिपदा को गलता स्नान का विशेष महत्व है।
- सूर्य मंदिर (आमेर, जयपुर) : इस मंदिर का निर्माण आमेर के चामुण्डहरि के पुत्र ने करवाया।
- कल्की मंदिर (जयपुर) : कलयुग के अवतार कल्की भगवान का ऐतिहासिक विष्णु मंदिर जिसका निर्माण सवाई जयसिंह ने 1739 ई. में करवाया। यह मंदिर विश्व का एकमात्र कल्की भगवान का मंदिर है।
- खलकाणी माता का मंदिर (लूणियावास, जयपुर) : यहाँ प्रतिवर्ष गधों का मेला भरता है।
- जमुवाय माता का मंदिर (जमुवारामगढ़, जयपुर) : इसका निर्माण दुलहराय ने करवाया। जमुवाय माता आमेर के कच्छवाहों की कुलदेवी है।
- वीर हनुमान मंदिर (सामोद, जयपुर) : इस मंदिर में हनुमानजी की वृद्ध प्रतिमा की पूजा की जाती है।
- ज्वाला माता का मंदिर (जोबनेर, जयपुर) : ज्वाला माता खंगारोतों की कुलदेवी है।
- बृहस्पति मंदिर (जयपुर) : राजस्थान का प्रथम बृहस्पति मन्दिर है। इस मंदिर में जैसलमेर के पीले पत्थरों से निर्मित बृहस्पति भगवान की सवा पाँच फीट ऊँची प्रतिमा स्थापित की गई है।
- पदमप्रभु मंदिर (पदमपुरा, जयपुर) : यह दिगम्बर जैन मंदिर है।
- शीतला माता मंदिर (चाकसू, जयपुर) : चाकसू में शील की डूंगरी नामक पहाड़ी पर महाराजा माधोसिंह द्वितीय द्वारा निर्मित मंदिर। शीतला माता खण्डित अवस्था में पूजी जाने वाली एकमात्र देवी है। शीतलाष्टमी को यहाँ विशाल मेला भरता है।
- देवयानी (सांभर, जयपुर) : पौराणिक तीर्थ। यहाँ वैशाख पूर्णिमा को विशाल स्नान पर्व का आयोजन होता है।
- इंदिरा गांधी मंदिर : अचरोल (जयपुर) में।
क्या आपको हमारा किया जा रहा प्रयास अच्छा लगा तो जरूर बताइए.